जंगल कथा: राहुल गांधी और दुधवा नेशनल पार्क, क्या रिस्ता है इनमें!

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जंगल कथा: आनरेरी टाइगर का निधन

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जंगल कथा: वन्य-जीव सरंक्षण की एक मुहिम है- दुधवा लाइव

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जंगल कथा: वन्य-जीव सरंक्षण की एक मुहिम है- दुधवा लाइव

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समाज को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं मूल्यों में गिरावट

11:40 PM / Posted by SHIV SHAMBU / comments (2)

मां तो मां, दर्शकों को भी रूला गया मारिया का सच।
काश यह झूठ हो, ऐसा नहीं होना चाहिए। क्या ऐसा हो सकता है, यह सवाल हर दर्शक के जेहन में था। रिश्ते की मर्यादा क्या इतनी भी नहीं। या यह पश्चिम की समस्या है। ... नहीं हमारे यहां भी तो ऐसा ही हो जाता है। क्यों, पता नहीं। मां और बेटी दोनों एक से प्रेम करती हैं। पाश्चात्य संस्कृति के रंग में रंगा नाटक मारिया कुछ जगह दर्शकों को विचलित करता नजर आया। डीएवी गल्र्स कालेज में नाटक उत्सव के दौरान जकिया जुबैरी की कहानी ‘मारिया’ का मंचन किया गया। नाटक का निर्देशन इंद्र राज इंदू ने किया। अविवाहित रिश्ता और इससे पैदा हुआ बच्चा। समाज की चिंता हमें ही नहीं उन्हें भी है। वे भी डरते हैं। हमारे यहां ही अविवाहित मां बच्चे को लावारिश छोडऩे के लिए अभिशप्त नहीं है, वहां भी है। यहीं इस नाटक का सार है। अविवाहित मां अपनी बेटी को लावारिश छोड़ देती है। बरसों साथ गुजार दिए सिर्फ इस अहसास के साथ कि कल क्या होगा। जो वो चाहती थी वह नहीं मिला। पे्रमी भी छोड़ कर चला गया। तब जब उसे अपने प्यार के सहारे की जरुरत होती है। कहानी घूम जाती है। मां को बेटी मिलती है जो गर्भवती है। मां अपनी बेटी से पूछती है कि तुमने इतनी बड़ी कुर्बानी किसके लिए दी बेटी। बेटी के मुंह से निकला हुआ संवाद कि मां जिसके पास तुम जाती थी। कहानी घूम जाती है। मां को बेटी मिलती है जो गर्भवती है। मां अपनी बेटी से पूछती है कि तुमने इतनी बड़ी कुर्बानी किसके लिए दी बेटी। बेटी के मुंह से निकला हुआ संवाद कि मां जिसके पास तुम जाती थी। यह संवाद सुनकर दर्शकों को एक ऐसे सच का सामना करना पड़ता है कि शर्म से सिर झुक जाता है।

हम भी पश्चिम में आ गए : कहानी क्योंकि पश्चिम परिवेश की है। ऐसे में पात्रों की ड्रेस भी वहां के अनुरुप थी। सबसे बड़ी बात तो यह रही कि पात्रों की भावभंगिमाएं भी पूरी तरह से पाश्चात्य रंग में रंगी हुई थीं। यहीं वजह रही कि वे अपनी बात को बहुत ही करीने से कह गए।
हमारी भी समस्या है : नाटक के निदेशक इंद्रराज इंदू ने बताया कि मारिया नाटक आज के समय में बहुत प्रासंगिक है। हम रोजमर्रा की जिंदगी में ऐसे बहुत सारे उदाहरण हमारे सामने हैं। समाज में खुलापन आ रहा है। इसके साथ ही इस तरह की दिक्कत भी आएगी। इससे बच नहीं सकते।
जाकिया जुबैरी एक परिचय : पाकिस्‍तान मूल की जाकिया जुबैरी लंबे समय से इंग्‍लैंड में रह रही है। वह वहां की राजनीति में सक्रिय है। हिंदी से जुड़ी जाकिया जुबैरी पश्चिम में भी मूल्‍य तलाशती हैं। उनका कहना है कि मूल्‍यों की गिरावट किसी एक समाज की समस्‍या नहीं, हर समाज की दिक्‍कत है

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यूपी का खनन बन रहा है बाढ़ बचाओ उपाय में रोड़ा

2:07 AM / Posted by SHIV SHAMBU / comments (0)

कटाव जारी यमुना में हो रहा लगातार खनन, स्टड लगाने में परेशानी

यमुना नदी में यूपी की ओर से खनन जारी है। जिसकी वजह से तटबंध टूट रहे हैं और नदी का कटाव जारी है। इससे स्टड निर्माण में भी दिक्कत आ रही है। ध्यान रहे हर साल नदी में के आसपास के क्षेत्रों को बाढ़ से बचाने के लिए स्टड बनाए जाते हैं। इससे तटबंध मजबूत हो जाते हैं । लेकिन खनन की वजह से इस बार स्टड बनाने के काम में कठिनाई आ रही है।

लाकड़-नवाजपुर के पास यूपी सीमा में चल रहे खनन के बारे में प्रशासन ने उच्चाधिकारियों को अवगत कराने का फैसला किया है। मंगलवार को डीसी ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ सीमावर्ती क्षेत्र का दौरा किया। वहां पर बाढ़ के खतरे को देखते हुए सिंचाई विभाग ने पांच स्टड लगाने की योजना बनाई थी लेकिन मौके पर चल रहे खनन कार्य को यमुना पर बसे प्रदेश के गांवों के लिए गंभीर खतरा मानते हुए सरकार को अवगत कराने का निर्णय लिया है। ताकि इस बारे में यूपी सरकार से बात की जाए।

यूपी की सीमा पर बसे गांव लाकड़, नवाजपुर, मालीमाजरा, कन्यावाला, भीलपुरा के ग्रामीण दोनों राज्यों की सीमा पर हरियाणा की ओर चल रहे खनन कार्य पर एतराज जताया था। इसके बाद यहां पर ग्रामीणों ने यूपी की ओर से आने वाली रेत, बजरी से भरी ट्रैक्टर-ट्रालियों व अन्य वाहनों के गांव से गुजरने पर पाबंदी लगा थी। इससे यहां पर तनाव का माहौल भी पैदा हो गया था, लेकिन ग्रामीणों के दबाव के चलते रास्ते को खोलने की किसी की हिम्मत नहीं हुई।

डीसी ने कई अधिकारियों के साथ मंगलवार सीमावर्ती इस क्षेत्र का दौरा किया। सिंचाई विभाग को यमुना के साथ प्रदेश की सीमा में पांच स्टड लगाने थे, ताकि यमुना में आने वाले पानी से प्रदेश के गावों को कोई खतरा न हो। यहां पर उन्होंने देखा कि खनन चाहे यूपी की सीमा में हो रहा हो,लेकिन यह खनन यमुना नदी में यूपी की ओर होने की बजाय हरियाणा की ओर हो रहा है। इससे इस ओर बसे गांवों में खतरा ओर अधिक बढ़ जाएगा।

ग्रामीणों ने दोबारा की खनन रोकने की मांग: डीसी के इस दौरे में लाकड़ गांव में इक्ट्ठे हुए ग्रामीणों ने मांग रखी कि पहले भी वर्ष 2005 में यहां पर हुए खनन की वजह से बाढ़ आई थी। अब दोबारा से वही हालात पैदा किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह खनन यमुना में इसी ओर किया जा रहा है। जबकि यूपी ओर यह पूरी तरह से बंद है। ऐसे में पूरा खतरा उनके गांवों को हो जाएगा।

उच्च अधिकारियों को अवगत कराया जाएगा : इस बारे में डीसी अशोक सांगवान ने बताया कि उन्होंने मौके पर पाया कि यमुना में इस ओर हो रहे खनन से गांवों के लिए खतरा हो सकता है।

यह मसला इंटरस्टेट होने के कारण इस मामले में उच्चाधिकारियों को स्थिति की पूरी जानकारी दी जाएगी। यदि जरूरी हुआ तो वहां पर निशानदेही भी कराई जा सकती है। इसके अलावा सुरक्षा के लिए हर कदम उठाए जाएंगे।

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पारा लुढ़का, कांपा यमुनानगर

1:52 AM / Posted by SHIV SHAMBU / comments (0)

बुधवार को दिनभर सूर्य के नहीं हुए दर्शन, रात व दिन में ज्यादा फर्क नहीं

ठिठुरन & बुधवार का अधिकतम तापमान 10.0, दिल के मरीज बरतें सावधानी

गर्म तासीर के खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ी

ठंड बढ़ती जा रही है जिससे दिन और रात के तापमान में भी अंतर बहुत कम रह गया है जिससे लोगों का घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है। लोग घरों में दुबके रहे। बुधवार को कोहरे के कारण दिनभर ठिठुरन बनी रही। मौसम विशेषज्ञों का दावा है कि आने वाले 24 घंटे के दौरान पाला पड़ेगा जिससे ठंड की चुभन और तीखी हो सकती है। रात व दिन के मौसम में ज्यादा फर्क नहीं है।

चल पड़ी शीत लहर: सर्दी में शीत लहर ठिठुरन बढ़ा रही है। बुधवार को हवा की रफ्तार 5.2 किलोमीटर प्रति घंटा रही हालांकि रफ्तार कम थी लेकिन पहाड़ से आने वाली हवा में ठंडक अधिक थी। पहाड़ों पर बर्फ होने की वजह से हवा काफी ठंडी हो गई है। ऐसे में हल्की हवा से ठंडक का अहसास बढ़ जाता है। बुधवार को दिन भर हवा की वजह से ठिठुरन रही। पूरा दिन सूरज के दर्शन नहीं हुए। लग रहा था मानो ठंड के सामने सूर्य भी पस्त हो गए हों।

दिनभर छाया रहा कोहरा: चार-पांच दिन के बाद अचानक फिर कोहरे ने दस्तक दी है। कोहरा भी दिनभर छाया रहा। मौसम विभाग के प्रवक्ता के अनुसार आने वाले कुछ दिन तक तापमान इसी तरह बना रहेगा।

बदल गया मैन्यू: सर्दी ने थाली का जायका भी बदल दिया है। इन दिनों सीजन सब्जी की भरमार है। इसके साथ ही गर्म तासीर के खाद्य पदार्थोंं की डिमांड भी बढ़ रही है। पेय पदार्थ में चाय-काफी के साथ सूप भी पहले नंबर पर आ गया है।


तापमान में अधिक अंतर नहीं
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार बुधवार का अधिकतम तापमान 10.0 व न्यूनतम तापमान 4.7 डिग्री रहा। मंगलवार का अधिकतम तापमान 10.2 डिग्री व न्यूनतम तापमान 4.8 डिग्री सेल्सियस रहा। यानि अधिकतम व न्यूनतम तापमान में अधिक अंतर नहीं रहा है। बुधवार को हवा में नमी की मात्रा सुबह के समय 93 व शाम के समय 81 प्रतिशत रही। वेपर प्रेशर सुबह के समय 6.7 व शाम के समय 7.0 एमएम रहा।

अलाव तापें मगर संभल कर
इन दिनों सर्दी से बचने के लिए अक्सर अलाव जला लिए जाते हैं। यह भी हानिकारक साबित हो सकता है क्योंकि अलाव ठंडा होते ही हम एकदम से ठंडे वातारण में आ जाते हैं। इतनी तेज गति से शरीर का तापमान कम नहीं हो पाता जिससे गर्म-सर्द होने की संभावना बनी रहती है। विशेषज्ञों के अनुसार अलाव तापते वक्तगर्म कपड़े होने चाहिएं जिससे शरीर का तापमान तेजी से कम न होने पाए। इसके अलावा घर के अंदर भी अंगीठी न जलाएं। हीटर यदि चला रहे हैं तो सावधानी रखें। सभी दरवाजे व खिड़की बंद न करें। इससे कमरे में आक्सीजन की मात्रा कम हो सकती है जिससे बेहोशी आने की संभावना रहती है।

दिल के मरीज रखें ध्यान
हार्ट स्पेशिलिस्ट अनूप गुप्ता ने बताया कि यह मौसम हार्ट के मरीजों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। अलबत्ता वे ध्यान रखें। ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़े तो पहन कर ही रखें। इसके साथ ही कमरे का तापमान भी अधिक रखना चाहिए। कोशिश करनी चाहिए कि घर से बाहर कम निकलना पड़े क्योंकि इस मौसम में स्ट्रेस बढ़ सकती है जिससे दिक्कत आ सकती है। एसएमओ डाक्टर विजय दहिया ने बताया कि चार डिग्री से नीचे का तापमान हार्ट के मरीजों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। इससे बचने के लिए उन्हें चाहिए कि सुबह व शाम घर में ही रहें।

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